Sunday, April 28, 2013

सांस्कृतिक पतन का दंश घर-घर में कंसःलाल बिहारी लाल

नई दिल्लीःभारत में जनसंख्या विस्फोट के कारण यहां की आबादी हाथी के सूढ की तरह पल-पल बढ रही है। ऐसे में हर घर को और हर घर में हर हाथ को काम की जरुरत है। इसलिए यहां पर भारत के प्रत्येक नागरिक  आज रोटी के जुगाड में दो को चार बनाने में ब्यस्त है। ऐसे में अपने बच्चों पर ध्यान नहीं दे पाता है परिणाम स्वरुप बच्चें  सांस्कृतिक एवं सांस्कारिक घूंटी से वंचित रह जाते हैं। नतीजा आज के बच्चें सामाजिक ताना-बाना से अवगत नहीं हो पाते है और पश्चिमी सभ्यता की गोद में चले जाते है। इस तरह उनका टोलरेंस क्षमता जीरो हो जाती है और वे बात-बात आग बबूला हो जाते है और हल्की सी बात पर भी किसी को मारने पर उतारु हो जाते है। यह आधुनिक सामाज के लिए घातक सिद्ध हो रही है।   समाज में आज बहू-बेटियो की इज्जत सलामत नहीं है और घर-घर में कंस-सा हालात बनते जा रहे हैं।
   बसंन्त बिहार जैसी घटनायें रोज-रोज देश एवं सामाज में घटती है। इसलिए जरुरी है कि इस सारी फसाद की जननी आबादी को रोकने का प्रयास निष्पक्ष भाव से किया जाए। जब आबादी कम होगी तो विभिन्न समस्यायें अपने आप कम हो जायेगी तथा लडका एवं लडकी के अनुपात का अंतर भी कम हो पायेगा तथा कन्या भ्रूणहत्या जैसी जघन्य अपराध भी नही होंगे। महंगाई का भूत भी कम सतायेगा तभी कुछ देश की वर्तमान स्थिति में सुधार की उम्मीद ब्यक्त की जा सकती है वरना देश की दशा और दयनीय होगी ।
 देश की दशा सुधारने के लिए आज जरुरी है कि आबादी रोकने के साथ-साथ यहां के बच्चों में सांस्कारिक स्थिति सुधारने के लिए आज जरुरी है कि आबादी रोकने के साथ-साथ आज के बच्चों को बचपन में ही  सांस्कारिक घूंटी भी पिलाया जाये तभी वसंत विहार जैसी घटनाओं से मुक्ति मिल सकती है।
लाल बिहारी लाल
सचिवः लाल कला मंच,नई दिल्ली
फोन-09868163073

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